एक बार एक संत जी थे. वह अपने शांत स्वभाव के लिए बहुत प्रसिद्ध थे .उन्हें कभी क्रोध नहीं आता था .उनका एक शिष्य बहुत ही क्रोधी स्वभाव का था .जरा सी बात पर दूसरों से गाली गलौज करना शुरू कर देता.
उसे कई बार अपने गुरु के शांत स्वभाव पर भी बड़ा आश्चर्य होता था कि कोई इतना शांत कैसे रह सकता है ? लेकिन गुरु से संकोच के कारण पूछ नहीं पाता .
लेकिन गुरु तो गुरु होते है वो तन की जाने, मन की जाने और जाने चित्त की चोरी कि हमारे मन में क्या चल रहा है ? इस तरह उसके गुरु जी ने भाप लिया कि उसके मन में कोई प्रश्न चल रहा है.
गुरु ने उससे पूछ लिया कि अगर तुम मुझ से कुछ पूछना चाहते हो तो बेझिझक पूछ सकते हो.
शिष्य ने कहा – गुरु जी मैं जानना चाहता हूं, कि आपको कभी क्रोध क्यों नहीं आता?, आप इतने शांत कैसे रहते हैं?
गुरु जी कहते हैं कि तुम संध्या के समय मेरे पास आना. मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर अवश्य दूंगा और तुम्हारे भविष्य के बारे में भी तुम्हें कुछ बताऊंगा.
संध्या के समय शिष्य गुरु के बताये नियत समय पर वह गुरु के पास पहुंचा .
गुरु जी ने कहा – कि मैं तुम्हें पहले तुम्हारे भविष्य के बारे में बताऊंगा .
गुरु जी ने कहा कि – अब तुम उस प्रश्न का उत्तर जानकार क्या करोगे क्युकी भविष्य तुम्हारा 7 दिन का है। तुम्हारे पास जीवन के केवल 7 दिन शेष बचे हैं . इसलिए तुम पहले जाकर अपने वह कार्य निपटा लो, जो तुम्हें लगता है कि मृत्यु से पहले तुम्हें कर लेनी चाहिए , उसके 6 दिन के बाद आना, तब मैं तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर दे दूंगा .
शिष्य ने गुरु को प्रणाम कर विदा ली. 6 दिन के बाद वह शिष्य फिर से गुरु जी के पास आया, तो
गुरु जी ने पूछा – तो बताओ इन 6 दिनों में तुमने कितना क्रोध किया?, कितने लोगों को के साथ गाली गलौज किया?
शिष्य ने गुरु से कहा कि – मुझे अनुभव हुआ कि अब मेरे जीवन के सिर्फ 7 दिन ही शेष बचे हैं, अतः मैंने सबके साथ नम्र स्वभाव से बात की. गुस्सा आने पर भी अपने धैर्य को बनाए रखा क्यूकि कुछ दिनों में मेरी मृत्यु आने वाली है. अपनी मृत्यु से पहले किसी से वैर क्यों रखना.
और तो और मैंने उल्टा जिन लोगों से पहले गलत बर्ताव किया था उनसे जाकर क्षमा मांगी .कुछ लोगों ने क्षमा कर दिया लेकिन कुछ ने क्षमा नहीं किया है. इस बात की मुझे बड़ी ग्लानी और पश्चाताप है .
गुरुजी मुस्कुराए और बोले कि – मेरे शांत स्वभाव और गुस्सा ना करने का कारण भी यही है, मैं हर दिन को अपने जीवन का अंतिम दिन समझ कर ही ईश्वर की प्रार्थना और आराधना करता हूं, और मैं किसी के साथ वैर विरोध नहीं करता हूँ.
मैंने तुम से झूठ बोला था कि तुम्हारे जीवन के 7 दिन शेष ही बचे हैं,
लेकिन जब तुमने इस बात का अनुभव किया कि तुम्हारी मृत्यु होने वाली है, तब तुमको लगा कि इस जीवन में शुभ कर्म करने चाहिए किसी से लडाई या झगड़ा नहीं करना चाहिए.
शिष्य ने ये सुना तो शांत सा रह गया। उस दिन से उस शिष्य का जीवन बिल्कुल बदल गया . उसका क्रोधी स्वभाव भी शांत हो गया .
इसीलिए तो कहते हैं कि जीवन में सद्गुरु मिल जाए तो वे हमारे अवगुणों को दूर कर देते हैं. वे हमारे अवगुणों को पहचान कर उन्हें दूर कर देता है. इसलिए अपने आचरण ऐसे कीजिये कि गुरु आपको ढूढ़ते हुए आपको खोज ले क्युकी चेला गुरु को नहीं खोजता है, गुरु स्वयं अपने शिष्य को खोज लेते है।
तो आप भी याद रखिये कि ये जीवन, पत्ते पर लटकी उस पानी की बूँद की तरह है जो हलके से हवा के झोके से कभी भी गिर सकती है। तो इसलिए मुझे तो ये गुस्सा शांत करने का आसान का तरीका बहुत अच्छा लगा। इससे गुस्सा गायब हो जाएगा। बस ये पत्ते और बूँद की बात हमेशा दिमाग में रहे, इसके लिए ईश्वर और गुरु कृपा आवश्यक है।
स्टोरी Souce – सोशल मीडिया