कार्तिक मास की षष्ठी तिथि का महात्म्य क्या है? Chhath Puja
एक समय व्यास जी के शिष्य महर्षि सुमंतु तथा वशिष्ठ, पराशर, जैमिनी, याज्ञवल्क्य, गौतम, वैशंपायन, शौनक, अंगिरा और भारद्वाज आदि महर्षिगण पांडववंश में समुत्पन्न महाबली शाली राजा शतानीक की सभा में गए। राजा ने उन ऋषियो का अर्घ्य आदि से विधिवत स्वागत सत्कार किया और उन्हें उत्तम आसनों पर बैठाया तथा भली-भांति उनका पूजन कर विनय पूर्वक इस प्रकार प्रार्थना की हे महात्माओं आप लोगों के आगमन से मेरा जन्म सफल हो गया आप लोगों के स्मरण मात्र से ही मनुष्य पवित्र हो जाता है फिर आप लोग मुझे दर्शन देने के लिए यहां पधारे हैं अतः आज मैं धन्य हो गया आप लोग कृपा करके मुझे उन पवित्र एवं पुण्य मई धर्मशास्त्र की कथाओं को सुनाएं जिसके सुनने से मुझे परम गति की प्राप्ति हो।
ऋषियों ने कहा हे राजन इस विषय में आप हमसब के गुरु साक्षात् नारायण स्वरूप भगवान वेदव्यास से निवेदन करें वह कृपालु हैं सभी प्रकार के शास्त्रों के और विद्याओं की ज्ञाता हैं। जिसके श्रवण मात्र से मनुष्य सभी पातकों से मुक्त हो जाता है उस महाभारत ग्रंथ के रचयिता भी यही है। राजा शतानीक ने ऋषियों के कथन अनुसार सभी शास्त्रों के जानने वाले भगवान वेदव्यास से प्रार्थना पूर्वक जिज्ञासा की प्रभु मुझे आप धर्ममई पुण्य कथाओं का श्रवण कराएं जिससे मैं पवित्र हो जाऊं और संसार सागर से मेरा उद्धार हो जाए।
व्यास जी ने कहा राजन यह मेरा शिष्य सुमन्तु महान तेजस्वी एवं समस्त शास्त्रों का ज्ञाता है। यह आपकी जिज्ञासा को पूर्ण करेगा मुनियों ने भी इस बात का अनुमोदन किया तदनंतर राजा शतानिक महामुनि सुमन्तु से उपदेश करने के लिए प्रार्थना की हे द्विज श्रेष्ठ आप कृपा कर उन पुण्यमयी कथाओं का वर्णन करें जिनके सुनने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
महामुनि सुमंतु बोले राजन धर्मशास्त्र को पवित्र करने वाले हैं। उनके सुनने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है बताओ तुम्हारी क्या सुनने की इच्छा है।
राजा शतानीक ने कहा- ब्राह्मण देव वे कौन से धर्म शास्त्र हैं जिनके सुनने से मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है?
और इस प्रकार महामुनि सुमंतु ने राजा शतानीक को भविष्य पुराण सुनाना शुरू किया और उसी क्रम में भविष्य पुराण के अध्याय 39 में कार्तिक मास की षष्ठी तिथि के माहात्म्य का वर्णन मिलता है।
महामुनि सुमन्तु ने कहा – हे राजन् ! सभी को षष्ठी तिथि में केवल फलाहार करके रहना चाहिए, पर, कार्तिक मास की षष्ठी का विशेष महत्त्व है। हे नृप ! जिस राजा का रांज्य किसी प्रकार से छूट गया हो, (इसके पूजन से) वह राजा अतिशीघ्र अपने राज्य को प्राप्त करता है।1।
हे महाराज ! षष्ठी तिथि सदैव सभी कामनाओं की पूर्ति करती है । अतएवं विजय की अभिलाषा वाले सदैव इसका ब्रत करते हैं।2।
इसी प्रकार कार्तिकेय को भी यह महातिथि’ षष्ठी अत्यन्त प्रिय है क्योंकि इसी में वे देवसेना के अधिनायक्र हुए हैं।3।
और स्कंद को शिवजी का ज्येष्ठ पुत्र बनाने का श्रेय इसी षष्ठी को प्राप्त हुआ है। इसलिए इसमें नक्त (दिन में व्रत रहकर रात्रि में) भोजन करने वाले प्राणी अपने मनोरथ सफल करते हैं।4॥
पूजनोपरांत दक्षिण की ओर मुख करके स्कन्द को अर्ध्य, दही, घी, जल और फूलों का सप्तर्षिदारजस्कन्द’ आदि मन्त्रों से अर्घ्य प्रदान कर ब्राह्मण को उत्तम पदार्थ का भोजन करावे जो विविध भाँति से बनाया ग़या हो पश्चात् शेष अन्न को रात में भूमि पर रख कर स्वयं भी भोजन करे तथा और भी जो कुछ हो वह ब्राह्मण को देवे ।5-7।
हे महाराज ! इस प्रकार षष्ठी, के जिस ब्रत-विधान को स्नेह वश स्कन्द ने यत्नपूर्वक बताया था उस समस्त विधि-विधान को मैं कह रहा हूँ सुनो ! ।8।
शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की षष्ठी में जो ब्रह्मचर्य पूर्वक व्रत रह कर फलाहार करता है, उसे स्कन्द सिद्धि, धैर्य प्रसन्नता, राज्य, आयु एवं लोक-परलोक का सुख प्रदान करते है ।9-10।
इसी प्रकार जो नक्तब्रत (दिन में ब्रत रहकर रात में भोजन ) करता है, उसकी ख्याति लोक-परलोक दोनों में होती है तथा उसका स्वर्ग में वास नियत रूप से ज्ञात होता है और यदि कभी यहाँ भूतल पर जन्म लिया तो उपरोक्त सभी फल उसे प्राप्त होते हैं । वह देवताओं का वन्दनीय एवं राजाओं का राज होता है । हे कुरुकुल नायक ! जो इस षष्ठी कल्प की कथा ही सुनते हैं, उन्हें भी सिद्धि, धैर्य, प्रसन्नता एवं यश प्राप्त होता है । 11-13 ।
श्री भविष्य महापुराण में ब्राह्मपर्व में षष्ठीकल्प वर्णन नामक उन्तालीसवाँ अध्याय समाप्त ।39॥
स्रोत – भविष्य पुराणम प्रथम खंड – अनुवादक पंडित बाबूराम उपाध्याय – अध्याय ३९, पेज नंबर 216-217
नोट – इसलिए षष्ठी तिथि अर्थात छठ पूजा, या छठी मैया या षष्ठी मैया का त्यौहार, जिन्हे ज्ञान है वे बड़ी श्रद्धा से मनाते है।
आशा है, षष्ठी तिथि अर्थात छठ पूजा, या छठी मैया या षष्ठी मैया के पूजन से सम्बन्धी किसी भी प्रकार की शंका का समाधान हुआ होगा। यदि आप चाहे तो शेयर करके अपना योगदान दे सकते है।
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FAQs –
छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?
षष्ठी तिथि अर्थात षष्ठी मैया का अनुग्रह प्राप्त करने के लिए षष्ठी तिथि का पूजन सूर्य नारायण को अर्घ्य इत्यादि के साथ किया जाता है।
छठ पूजा में छठ का क्या अर्थ है?
छठ पूजा में छठ का अर्थ षष्ठी तिथि है?
छठ पूजा के पीछे क्या कहानी है?
अगर हमें कोई अन्य और माहात्म्य, छठ पूजा का इतिहास या कहानी मिलती है तो उसको इस पेज पर अवश्य अपडेट करेंगे। इसे बुकमार्क कर सकते है।