महादेव जी नारद ऋषि से बोले -द्विजवर ! जहाँ गोपीचन्दन रहता है, तह घर तीर्थ-स्वरूप है। यह भगवान् श्रीविष्णु का कथन है। जिस ब्राह्मण के घर में गोपीचन्दन मौजूद रहता है, वहाँ कभी शोक, मोह तथा अमझ़ल नहीं होते । जिसके घर में रात दिन गोपीचन्दन प्रस्तुत रहता है, उसके पूर्वज सुखी होते हैं तथा सदा उसकी संतति बढ़ती है। गोपी तालाब से उत्पन्न होने वाली मिट्टी परम पवित्र एवं शरीर का शोधन करने वाली है। देह में उसका लेप करने से सारे रोग नष्ट होते हैं तथा मानसिक चिन्ताएँ भी दूर हो जाती हैं।
अतः पुरुषों द्वारा शरीर में धारण किया हुआ गोपीचन्दन सम्पूर्ण कामनाओं की पूर्ति तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है। इसका ध्यान और पूजन करना चाहिये । यह मल-दोष का विनाश करने वाला है। इसके स्पर्शमात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है। बह अन्तकाल में मनुष्यों के लिए मुक्तिदाता एवं परम पावन है।
द्विजश्रेष्ठ ! मैं क्या बताऊँ, गोपीचन्दन मोक्ष प्रदान करने वाला है। भगवान् विष्णु का प्रिय तुलसी काष्ठ, तुलसी की मूल की मिट्टी, गोपीचन्दन तथा हरिचन्दन, इन चारों को एक में मिलाकर विद्वान् पुरुष अपने शरीर में लगाये | जो ऐसा करता है, उसके द्वारा जम्बूद्वीप के समस्त तीर्थो का सदा के लिये सेवन हो जाता है । जो गोपीचन्दन को घिसकर उसका तिलक लगाता है, वह सब पापॉ से मुक्त हो श्री विष्णु के परम पद को प्राप्त होता है। जिस पुरुष ने गोपीचन्दन धारण कर लिया, उसने मानों गया में जाकर अपने पिता का श्राद्ध-तर्पण आदि सब कुछ कर लिया।
सोर्स – संक्षिप्त पद्मपुराण, पेज संख्या ६८४, यमराज की आराधना और गोपीचन्दन का माहात्म्य
दंडवत आभार – श्री गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा संक्षिप्त श्रीपद्मपुराण के सौजन्य से।
FAQs –
गोपी चंदन कहां पाया जाता है?
गोपी चन्दन द्वारका धाम के पास स्थित गोपी सरोवर की रज है।