सनातन धर्म में गुरु का भगवान् से ज्यादा महत्त्व है। इसलिए सनातन का प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में गुरु चाहता है। लेकिन बहुत कम लोगो को गुरु मिल पाते है।

सबको क्यों नहीं मिलते ?

कुछ लोगो को मानना है – “गुरु बनाया जाता है?” जबकि सत्य यह है कि इस समाज में गुरु स्वयं अपना शिष्य अदृश्य/दृश्य रूप में खोजते फिरते है । लेकिन कुछ विशेष लोग ही होते है जो अपने पुराने कर्मो से इस जन्म में भी भक्ति को प्राप्त करते है।

लेकिन शिष्य बनने लायक व्यक्ति आज समाज में मुश्किल से उपस्थित है।

तो फिर गुरु जी कैसे मिलेंगे ? –

इसके लिए आपको शास्त्रों को पढ़ना शुरू कर देना चाहिए और साथ ही साथ सत्य को धारण शुरू करना होगा, कम से कम कोशिश अवश्य शुरू करे, सत्य अर्थात धर्म पर टिके रहकर झूठ अर्थात अधर्म पर चुप्पी नहीं, जवाब देना शुरू करना होगा।

आपको जैसे जैसे ज्ञान होगा, वैसे वैसे आपका आचरण सुधरेगा, आचरण सुधरते ही अगर किसी गुरु की दृष्टि पड़ेगी तो वो आपके सामने स्वतः प्रकट हो जायेगे। सिर्फ ज्ञानदृष्टि से ही अपने से गुरु के दर्शन किया जा सकता है।

लेकिन आजकल उल्टी समस्या यह है कि ज्यादातर अपने आचरण को सुधारने के लिए गुरु को खोजते फिरते है। अर्थात आचरण सुधरेंगे तब गुरु मिलेंगे या गुरु मिलेंगे तब आचरण सुधरेंगे? इस प्रश्न में भटकने से अच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा ज्ञान ले, उपनिषदों, पुराणों को सुने और खोजे कि इन शास्त्रों में क्या क्या रहस्य छुपा है।

तो क्या करे? –

इसलिए भौतिक जीवन में आपको किसी गुरु को ढूढ़ने की आवश्यकता नहीं है। आपको बस भक्ति या ज्ञान परंपरा के शिष्यों और उनके गुरुओ को सुनना शुरू कर देना चाहिए। क्युकी आज उनके दिव्य वचन यूट्यूब पर गुलाब की खुशबू के रूप में तैर रही है। उनके वचन सुनने से अनुभव होता है कि यह आनंद की पराकाष्ठा है। उनके बताये रास्ते के द्वारा आप अपना मार्ग अपनी पसंद के अनुसार चुने जैसे भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग, कर्म मार्ग या कर्म कांड (विधिवत) चुनने से सद्बुध्दि अर्थात मां सरस्वती की कृपा होती है। उपनिषदों, पुराणों को सुने और खोजे कि इन शास्त्रों में क्या क्या रहस्य छुपा है। इससे आचरण सुधरते है, और एक समय आता है जब आपके गुरु आपके सामने खड़े दिखाई देते है।

कहीं गुरु के रूप में कोई बहरूपियाँ तो नहीं?

इस बात को समझने के लिए आपको श्री हनुमान जी के उस दृश्य को मन में सोचना होगा जिसमे श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की और बाण की रफ़्तार से उड़ ही रहे थे कि रास्ते में कालनेमि ने माया की रचना की तथा हनुमान को मार्ग में रोक लिया। लेकिन जब श्री हनुमान जी को मायावी कालनेमि की कुटिल बुद्धि का ज्ञान हुआ तो उन्होने उसका वध किया

अर्थात आज भी आपको गुरु भेष में कालनेमि मिल सकते है जो सनातन धर्म को समय-समय पर बदनाम करते रहते है। उनसे बचने के लिए आपको श्री हनुमान जी की शरण में जाना ही चाहिए। क्युकी महाभारत धर्मं और अधर्म के युद्द में भी श्री हनुमान जी अर्जुन के रथ के ऊपर अर्जुन की रक्षा कर रहे थे। इसलिए बल और बुद्धि के लिए श्री हनुमान जी कलयुग में बहुत सहायक है।

अतः कुछ लोग श्री हनुमान जी को अपना गुरु बनाने को कह देते है। लेकिन किसी को गुरु कह देने से कोई गुरु नहीं बन जाता। गुरु के प्रति कर्तव्यों का पालन करना भी आवश्यक होता है।

सबसे पहले आपको ज्ञान अर्थात शास्त्र पढ़ने या सुनने होंगे। कुछ नहीं तो अपने पूर्वजों की निशानी समझकर ही पढ़ ले कि वे सभी महान आत्मा इस पीढ़ी के लिए क्या छोड़कर गए है। यह प्रत्येक भारतीय को जानना ही चाहिए।

अतः आप पहले ज्ञान को गुरु बना सकते है –

जैसे ही समय मिले ज्ञान को ग्रहण करे, शास्त्रों को सुने या पढ़े। । ज्ञान से भक्ति माता प्रकट होगी, अब आप श्री हनुमान जी को गुरु बना सकते है, क्युकी अब आपके पास कर्तव्यों के पालन करने के लिए आवश्यक ज्ञान होगा।

इससे सद्बुध्दि आएगी, उसके बाद आचरण सुधरेंगे और पता नहीं किस रूप में गुरु-भगवान की कृपा दृष्टि हो जाये। और आपको अपनी गाडी में लिफ्ट दे दे। इससे आपका गुरु प्राप्त करने का लक्ष्य पूरा हो जायेगा। जिसके पास उसका गुरु और हनुमान जी दोनों की शक्ति होती है वह विभीषण की तरह श्री राम प्रभु तक अवश्य पहुँचता है। ज्यादा जानकारी के लिए आपको Rama Rahasya Upanishad अवश्य पढ़ना चाहिए।

अपने गुरु को पहचाने –

एक गुरु और शिष्य के बीच का सम्बन्ध बिल्कुल माँ बेटे की तरह होता है। लेकिन उनके पास हर प्रश्न का उत्तर होता है। सिध्दियां होने से सिद्ध पुरुष होते है। उन्हें बहुत ही सूक्ष्म ज्ञान होता है। सही समय पर वे आपको अवश्य मिलेंगे।

अगर आपको लगता है की ऐसे गुरु और शिष्य होते नहीं है तो आपको भारत के संतो की आत्मकथा को पढ़कर या सुनकर अपने अंदर के आत्मविश्वास को पैदा करना होगा। आत्मविश्वास से भक्ति जाग्रत होगी। जाने अपनी भक्ति कैसे दृढ़ करें

अब अगर ऐसे में कोई प्रश्न पूछे की हनुमान जी को अपना गुरु कैसे बनाएं? शिव को गुरु बनाने की विधि, गुरु दक्षिणा में क्या देना चाहिए, दीक्षा मंत्र कैसे ले, तो उनको मेरे इस ब्लॉग को दुबारा ध्यान से पढ़ना चाहिए।

एक सलाह – अगर फिलहाल कोई गुरु है तो पूजा पाठ करने से पहले गुरु रूप में भगवान् श्री दत्तात्रेय को अवश्य याद कर ले। वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो का एक रूप में और गुरु तत्व है। आगे के मार्ग अपने आप मिलते चले जायेगे।

धन्यवाद,
BLOG by प्रदीप सिंह तोमर, अपने प्रभु का दास, हरे कृष्ण, हरे राम, जय श्री हनुमान जी।
हर हर हर महादेव।

डिस्क्लेमर – यह लेखक के अपने मनोभाव है। आपका क्या विचार है?

Last Update: January 15, 2025