सनातन धर्म में उपासना का बहुत ज्यादा महत्त्व है लेकिन इसको रोकने के लिए अधर्मी शक्तियाँ भी काम करती है उस शक्ति को वासना कहते है।
उपासना से व्यक्ति अपने इष्ट के पास आता है तो वही वासना से दूर होता है।
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श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार (बागेश्वर धाम) –
प्याज़ और लहसुन का जन्म राक्षसों के मल (Evil Potty) से हुआ है। इसलिए उसमे से बहुत दुर्गन्ध आती है। इस दुर्गन्ध के कारण देवता आपके घर नहीं आ पाते है
प्यार और लहसुन तामसिक आहार है। इसे खाने से साधना और उपासना भंग होती है। तामसिक विचार आने से क्रोध आता है, आवेश बढ़ता है। यह किसी भी प्रकार की उपासना को भंग करता है इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
श्री राजेंद्र दास जी महाराज के अनुसार –
जो प्याज़ लहसुन खाता है वह भगवद भक्ति का अधिकारी नहीं रहता है। एक बार के प्याज़ और लहसुन खाने से 27 दिन तक उसका प्रभाव रहता है। सूखते हुए प्याज़ को देवदत्त हमेशा पानी देता रहता है।
दोष क्या है?
श्री गुरुदेव के अनुसार यह काम वासना को जाग्रत करता है, कोई भी व्यक्ति (तन और मन से ) ब्रह्मचारी नहीं रह सकता है।
आपद धर्म में क्या करे? –
आपद धर्म की स्थिति में दोष नहीं लगेगा, इसके बारे में जानने के लिए आपद धर्म को यहाँ से समझे।
श्री अमोघ लीला प्रभु के अनुसार –
ठीक इसी प्रकार से प्याज़ और लहसुन से दूर रहने को श्री अमोघ लीला प्रभु जी भी कहते है जो इस्कॉन परम्परा के ज्ञानी संत है।
प्याज़ की उत्पत्ति कुत्ते के अंडकोष से है, और लहसुन की उत्पत्ति कुत्ते के नख अर्थात नाख़ून से है। इसलिये इसे अभक्ष माना जाता है, और कुत्ते के मांस खाने के बराबर दोष माना जाता है।
तामसिक? ये क्या होता है?
तामसिक को समझने के लिए आपको ये नीचे दिया गया वीडियो देखना चाहिए, जिन्होंने अपने गुरु की कृपा से समझाने की कोशिश की है।
सलाह – अगर शास्त्र और सभी गुरु मना कर रहे है खाने को, तो उनकी बात अवश्य माननी चाहिए, क्युकी इसमें उनका कोई स्वार्थ तो हो नहीं सकता।
लेकिन –
अगर कभी होटल में कही खानी पड़ जाए तो बात अलग है, लेकिन घर में नहीं रखना चाहिए और न लाना चाहिए क्युकी इसकी बदबू से देवता प्रवेश नहीं करते है। जैन धर्म के लोग भी इससे दूरी बनाकर रखते है।
Source – YouTube
FAQs –
क्यों नहीं खाना चाहिए लहसुन प्याज?
आयुर्वेद लहसुन प्याज को नियमित रूप से आहार में शामिल करने की सलाह इसलिए नहीं देता है क्योंकि इसका अधिक सेवन शरीर में बनने वाले गुड बैक्टीरिया को भी खत्म कर देते हैं.
लहसुन प्याज कब नहीं खाना चाहिए?
यदि आप व्रत और पूजा-पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इसका सेवन करने से बचना चाहिए
हिंदू धर्म में प्याज वर्जित क्यों है?
यह किसी भी व्यक्ति को सात्विक से राजसिक और राजसिक से तामसिक गुण में धकेलने की शक्ति रखता है। जिससे वह अपने इष्ट या देवता से दूर होता चला जाता है।
ब्राह्मण लहसुन और प्याज से क्यों परहेज करते हैं?
लहसुन और प्याज मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति को सात्विक से राजसिक और राजसिक से तामसिक गुण में धकेलने की शक्ति रखता है।
लहसुन अशुद्ध क्यों होता है?
धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इनसे बचना अनुष्ठान की शुद्धता बनाए रखने का एक तरीका है।
लहसुन तामसिक क्यों है?
प्याज और लहसुन को तामसिक माना जाता है, ये तीखे स्वभाव के होते हैं और शरीर में पित्त और गर्मी बढ़ाते हैं। जिससे व्यक्ति के मस्तिष्क में क्रोध उत्पन्न होता है और क्रोध हमेशा साधना नष्ट करता है। गलत फैसले लेता है। जीवन गर्त में जाने लगता है। ऐसे में उसकी चिंता, गुस्सा दूर करने के नाम पर विधर्मी उसे धर्म परिवर्तन के लिए बहकाने लगते है।