शास्त्रों के अनुसार हर महीने एक शिव रात्रि होती है, जैसे कि एकदशी होती है। क्युकी एकादशी के एक दिन बाद त्रयोदशी आती है। और हर त्रयोदशी शिव जी की, और हर एकादशी श्री विष्णु भगवान् को समर्पित है।
जिसमे फ़रवरी या मार्च के महीने में आने वाली एक महाशिवरात्रि होती है। इस महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का विशेष महत्त्व रहता है।
चार पहर की पूजा क्यों होती है?
जैसा की ऊपर बताया कि हर महीने एक शिव रात्रि होती है अर्थात वर्ष में 12 शिवरात्रि। महाशिव रात्रि पर चार पहर की पूजा को इस रूप में बांटा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत धारण करने से पूरे साल की 12 शिवरात्रि धारण करने का फल मिल जाता है।
चार पहरो का समय –
24 घंटों में आठ प्रहर होते हैं. एक प्रहर तीन घंटे का होता है
- 3 घंटे का एक पहर तो
- 12 घंटे में चार पहर होंगे।
इतना ही नहीं चार पहर अर्थात
एक पहर की पूजा = 3 शिव रात्रि का फल
चार पहर की पूजा = 12 शिवरात्रि का फल
अर्थात महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि की महिमा तो आपको महाशिव रात्रि के सिर्फ माहात्म्य को पढ़ कर या सुनकर ही किया जा सकता है। और रही बात फल की, शिव भक्तो को फल की चिंता कहाँ होती है। जय मेरे बाबा, बस तुमको कभी भूलू नहीं इतनी कृपा रखे।
कुछ प्रश्न –
क्या हमें शिवरात्रि की रात को सोना चाहिए?
ये आपके संकल्प पर निर्भर करता है। व्रत अर्थात संकल्प एक दिन के आहार, या अन्न या किसी भी प्रिय वस्तु से दूर रहने का त्याग का संकल्प या व्रत। । तो अगर आप सोना चाहते है तो आपकी इच्छा, अगर चार पहर की पूजा करते है तो 12 शिवरात्रि का फल मिलेगा।
महाशिवरात्रि के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?
महाशिव रात्रि के शिव महापुराण को अवश्य पढ़े। परिवार के अन्य लोग सुने, यह सबसे उत्तम विधि है।