भगवान की प्राप्ति कैसे की जा सकती है?
भगवान की प्राप्ति के लिए गीता में बताए गए तीन रास्तों का मतलब है – कर्म योग, ज्ञान योग और…
भगवान की प्राप्ति के लिए गीता में बताए गए तीन रास्तों का मतलब है – कर्म योग, ज्ञान योग और…
भाव,” “अभाव,” “प्रभाव,” “दुर्भाव,” “समभाव,” “दुष्प्रभाव,” “भेदभाव,” और “कुप्रभाव” हिन्दी शब्द हैं जिनका अर्थ निम्नलिखित है – भाव (expressions) –…
ये पितरगण कौन हैं? कहाँ निवास करते हैं? इनके श्रद्धादि की विधियाँ क्या हैं? ये किसके पुत्र है, और किस…
प्रसाद, भंडारा और लंगर से सम्बंधित कई प्रश्न है यह इस ब्लॉग में हमने उन सभी मुख्य प्रश्नो के उत्तर…
अयोध्या के सुंदर शहर में, रत्नों से सुसज्जित 1000 शिखरों वाले मंडप के केंद्र में रत्नजड़ित गुंबद के नीचे बैठे,…
श्री शंकराचार्य ने उपनिषद् का अर्थ इस प्रकार किया है – ““उप, नि, षद्” उप का श्रर्थ समीप नि का…
पूर्वकाल में देवताओं और असुरो के साथ संग्राम हुआ, ब्रह्म ने अपनी आज्ञा में चलने वाले और जगत-स्थिति (लोक-मर्यादा) की…
सनातन धर्म में उपासना का बहुत ज्यादा महत्त्व है लेकिन इसको रोकने के लिए अधर्मी शक्तियाँ भी काम करती है…
श्री राम और हनुमान का मिलन अद्रभुत रामायण के अनुसार जिसमे श्री राम महावीर को चतुर्भुजरूप दिखाते है और सांख्ययोग…
You cannot copy content of this page