युधिष्ठिर बोले – श्रीकृष्ण ! आपने शुभकारिणी सफला एकादशी का वर्णन किया। अब कृपा करके पौष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी का महत्त्व बतलाइये । उसका क्‍या नाम है? कौन-सी विधि है? तथा उस में किस देवता का पूजन किया जाता है?

भगवान्‌ श्रीकृष्ण ने कहा – राजन्‌ ! पौष के शुक्लपक्ष की जो एकादशी है, उसे बतलाता हूँ; सुनो।

महाराज ! संसार के हित की इच्छा से, मैं इसका वर्णन करता हूँ। राजन! पूर्वोक्त विधि से ही यत्न-पूर्वक इसका व्रत करना चाहिये | इसका नाम पुत्रदा एकदशी है। यह सब पापों को हरने वाली उत्तम एकादशी तिथि है। समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान् नारायण इस तिथि के अधिदेवता है। चराचर प्राणियों सहित समस्त त्रिलोकी में इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है।

पुत्रदा एकादशी की कथा –

भगवान्‌ श्रीकृष्ण ने कहा – पूर्वकाल की बात है, भद्रावती पूरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे, उनकी रानी का नाम चम्पा था। राजा को बहुत समय तक कोई वंशधर पुत्र नहीं प्राप्त हुआ। इसलिये दोनों पति-पत्नी सदा चिंता और शोक में ड्रबे रहते थे | राजा के पितर उनके दिये हुए जल को शोकोच्छवास से गरम करके पीते थे। राजा के बाद और कोई ऐसा नहीं दिखायी देता, जो हम लोगों का तर्पण करेगा, यह सोच-सोचकर पितर दुःखी रहते थे।

एक दिन राजा घोड़े पर सवार हो गहन वन में चले गये। पुरोहित आदि किसी कों भी इस बात का पता न था। मृग और पक्षियों से सेवित उस सघन वन में राजा भ्रमण करने लगे। मार्ग सें कहीं सियार की बोली सुनायी पड़ती थी तो कहीं उल्लुओं की । जहाँ-तहाँ रीछ और मृग दृष्टिगोचर हो रहे थे। इस प्रकार घूम-घूमकर राजा वन की शोभा देख रहे थे, इतने में दोपहर हो गया। राजा कों भूख और प्यास सताने लगी| वे जल की खोज में इधर-उधर दौड़ने लगे।

किसी पुण्य के प्रभाव से उन्हें एक उत्तम सरोवर दिखाई दिया, जिसके समीप मुनियो के बहुत से आश्रम थे। शोभाशाली नरेश ने उन आश्रमों की ओर देखा। उस समय शुभ की सूचना देने वाले शकुन होने लगें। राजा का दाहिना नेत्र और दाहिना हाथ फड़कने लगा, जो उत्तम फल की सूचना दे रहा था।

सरोवर के तट पर बहुत से मुनि वेद-पाठ कर रहे थे। उन्हें देखकर राजा को बड़ा हर्ष हुआ । वे घोड़े से उतरकर मुनियो कि सामने खड़े हो गये और पृथक्‌-पृथक्‌ उन सबकी वंदना करने लगे। ये मुनि उत्तम व्रत का पालन करने वाले थे। जब राजा ने हाथ जोड़कर बारम्बार दण्डवत्‌ किया।

तब मुनि बोले – राजन् ! हम लोग तुम पर प्रसन्न हैं।

राजा बोले – आप लोग कौन हैं ? आपके नाम क्या हैं तथा आप लोग किसलिये यहाँ एकत्रित हुए हैं ? यह सब सच-सच बताइये ।

मुनि बोले – राजन्‌ ! हम लोग विश्वदेव हैं, यहाँ स्नान के लिए आये हैं। माघ निकट आया है। आज से पाँचवें दिन माघ का स्नान आरम्भ हो जायगा। आज ही पुत्रदा नाम की एकादशी है, जो व्रत करने वाले मनुष्यों कों पुत्र देती है।

राजा ने कहा – विश्वदेवगण ! यदि आप लोग प्रसन्न है तो मुझे पुत्र दीजिये।

मुनि बोले – राजन्‌ ! आज के ही दिन पुत्रदा नाम की एकादशी है। इसका व्रत बहुत विख्यात है । तुम आज इस उत्तम व्रत का पालन करो । महाराज ! भगवान्‌ केशव् के प्रसाद से तुम्हें अवश्य पुत्र प्राप्त होगा।

भगवान्‌ श्रीकृष्ण कहते हैं – युधिष्ठिर ! इस प्रकार उन मुनियो के कहने से राजा ने उत्तम व्रत का पालन किया। महर्षियों के उपदेश के अनुसार विधिपूर्वक पुत्रदा एकादशी का अनुष्ठान किया । फिर द्वादशी को पारण करके मुनियो के चरणों में बारम्बार मस्तक झुकाकर राजा अपने घर आये | तदनन्तर रानी ने गर्भ धारण किया |

प्रसवकाल आने पर पुण्यकर्मा राजा को तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट कर दिया। वह प्रजाओं का पालक हुआ।

इसलिये राजन्‌ ! पुत्रदा का उत्तम व्रत अवश्य करना चाहिये। मैंने लोगो के हित के लिये तुम्हारे सामने इसका वर्णन किया है। जो मनुष्य एकाग्रचित्त होकर पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं, वे इस लोक में पुत्र पाकर, मृत्यु के पश्चात स्वर्गगामी होते है।

इस माहात्म्य को पढ़ने व् सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।


स्रोतश्रीमद्पद्मपुराण – उत्तरखंड – पौष मास की ‘सफला‘ और ‘पुत्रदा‘ एकादशी का माहात्म्य
दंडवत आभार – श्रीगीताप्रेस, गोरखपुर, संक्षिप्त श्रीमद् पद्म पुराण, पेज नंबर 649


अगली एकदशी के बारे में आप पढ़ेंगे –

श्रीपदमपुराण के अनुसार – माघ मास, कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी का माहात्म्य


 

FAQs –

पुत्रदा एकादशी करने से क्या फल मिलता है?

जिन लोगो को पुत्र प्राप्ति की इच्छा और श्रीहरि की कृपा और स्नेह चाहिए, उन्हें पुत्रदा एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी व्रत कैसे करे?

सुबह स्नान करके श्री गणेश और फिर उसके बाद श्री हरि का पूजन और व्रत करने के संकल्प लेना चाहिए, संकल्प लेने का कारण भी आपको बताना चाहिए फिर सात्विक मन और बुध्दि से भगवान् विष्णु के पुराण इत्यादि को पढ़ना चाहिए, भजन करना चाहिए और रात्रि जागरण कर सके तो बात ही क्या।

पुत्रदा एकादशी कब है 2024 Katha in Hindi?

2024 में Putrada Ekadashi रविवार 21 जनवरी 2024 को है।

पुत्रदा एकादशी का मतलब क्या होता है?

पुत्रदा एकादशी तिथि का नाम है जो भगवान् श्रीविष्णु को अति प्रिय है।

What is the significance of Putrada Ekadashi?

You can read the significance of Putrada Ekadashi above, which you can translate in any language.

What are the rules for Putrada Ekadashi fasting?

After taking a bath in the morning, you should take a resolution to worship Shri Ganesha and then Shri Hari and fast, you should also tell the reason for taking the resolution, and then with a satvik mind and intellect, you should read the Puranas of Lord Vishnu, do bhajans and do night vigil.

Is Shravana Putrada Ekadashi good or bad?

Putrada Ekadashi is very good. This is very dear to Lord Vishnu

Which Ekadashi for the child?

The Putrada Ekadashi is for child.