शबरी बैठी आस लगाए लोकगीतश्रीराम प्रभु का शबरी द्वारा वाट जोहना।


अरे ! शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।
अरे ! कब घर आएंगे। राम मेरे कब घर आएंगे।

शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।
अरे ! कब घर आएंगे। राम मेरे कब घर आएंगे।
कब घर आएंगे। राम मेरे कब घर आएंगे।

शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।
हो ! शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।

अरे! बचपन गयो, जवानी बीती, ये दिन जाएंगे।
बचपन गयो, जवानी बीती, ये दिन जाएंगे। -2
अरे! कौन बैला हम, प्रभु के दर्शन पाएंगे।

हो ! शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।

कब घर आएंगे। राम मेरे कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।
हो ! शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।

अधम भीलनी को जाने प्रभु, कब अपनाएंगे।
अधम भीलनी को जाने प्रभु, कब अपनाएंगे।
अरे ! जनम जनम के पाप दर्श कर, सब कट जायेंगे।

शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।

कब घर आएंगे। राम मेरे कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।
हो ! शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।

अरे ! कब घर आएंगे। राम मेरे कब घर आएंगे।
शबरी बैठी आस लगाए, राम जाने कब घर आएंगे।
हो ! शबरी बैठी आस लगाए, राम मेरे कब घर आएंगे।

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Bhajan,

Last Update: January 14, 2025