हनुमान चालीसा के रहस्य को समझने से पहले हमें हनुमान जी को समझना होगा और हनुमान जो को समझने से पहले हमें राम के बारे में विचार करना होगा क्योंकि श्री हनुमान जी महाराज ने अपना सम्पूर्ण जीवन श्री राम जी के चरणों में समर्पित कर दिया. ये राम कौन हैं? –

राम उस पर परम शक्ति का नाम है जो इस ब्रह्माण्ड को संचालित करते हैं और जो हर एक कण और हर मन में निवास करते हैं . जो प्राणीमात्र के हृदय में ‘रमण’ (निवास) करते हैं, वो ‘राम’ हैं तथा भक्तजन जिनमे ‘रमण’ करते (ध्याननिष्ठ होते) हैं, वो ‘राम’ हैं.

उसी परमेश्वर के लाडले हमारे हनुमान जी महाराज हैं और उन्हें प्रसन्न करने का सबसे सरल माध्यम है – श्री हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले निम्नलिखित 5 मन्त्रों का जप जरूर करना चाहिए

1. ॐ तुलसी देव्यै नमः:

2. राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

3. हे राम पुरुषोत्तम: नरहरे नारायण: केशव:।
गोविन्द: गरुड़ध्वज: गुणनिधे दामोदर: माधव:।।
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम

4. कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना॥
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥

5. कवन सो काज कठिन जग माहीं, जो नहिं होइ तात तुम पाहीं।

कार्य सफलता या कार्य सिद्धि हेतु उपाय –

श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (श्री बागेश्वर धाम) – काम सफल नहीं हो पा रहे तो रामायण के किष्किंधा कांड की इस चोपाई (कवन सो काज कठिन जग माहीं, जो नहिं होइ तात तुम पाहीं।) का रोज़ 108 बार जाप करके, पांच आहुति इसी चौपाई के साथ दे, एक महीने श्रध्दा से जाप करने से काम सफल हो जायेगा। – Source

रहस्य – पंचोपचार विधि से पूजा करके हनुमान जी से आज्ञा और आशीर्वाद माँग कर हनुमान चालीसा का पाठ शुरू करना चाहिए . सफलता की शतप्रतिशत सम्भावना है . साधना के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य नियम है . लहसुन -प्याज का भी त्याग कर देना चाहिए क्योंकि ये भी अपेक्षित है . साधना के दौरान सात्विक जीवन चर्या हो , किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए फिर हनुमान जी की कृपा का शीघ्र अनुभव किया जा सकता है .

॥॥ Shree Hanuman Chalisa ॥॥

 

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

अर्थ – श्री गुरु महाराज के चरण कमल की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला है .

रहस्य – आध्यात्मिक पथ में सफल होने के लिए मन का पवित्र होना जरुरी है और वो सद्गुरु की कृपा से ही संभव है, हमारे गुरु सबसे बड़े सहायक हैं . श्री राम जी के गुणों का वर्णन करने से भी हमें सब कुछ प्राप्त हो सकता है .हमारे जीवन के चार पुरुषार्थ हैं –धर्म, अर्थ (धन),काम (कामना ) और अंत में मोक्ष .

 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

अर्थ– हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कार दीजिए।

रहस्य – यदि आपको ईश्वर से कुछ माँगना हो तो झुककर खुद को निर्बल समझकर और प्रस्तुत कर माँगना चाहिए . यदि कोई भक्त हनुमान जी से बल, बुद्धि और विद्या चाहते हैं तो इस दोहे का प्रतिदिन 108 बार संकल्प लेकर जपना चाहिए . सामने में हनुमान जी की छोटी प्रतिमा या तस्वीर हो, इसके साथ ही ताम्बे के गिलास या लोटे में पानी भरा हो और दीपक जलता रहे .

हनुमान चालीसा में 40 पद्यों के माध्यम से उनके यश ,बुद्धि और बल का वर्णन किया गया है. इसमें पहला पद्य है –

 

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥

अर्थ– श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।

 

राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥

अर्थ– हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा कोई बलवान नहीं है॥2॥

 

महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥

अर्थ– हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक है।

 

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥

अर्थ– आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।

 

हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥

अर्थ– आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।

 

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥

अर्थ– हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।

रहस्य — ये सर्वशक्तिमान , सभी प्रकार से पूर्ण शिव जी के पूर्ण सात्विक अवतार हैं . निराकार रूप में यही सत्य और धर्म हैं इनके बिना परमेश्वर राम तक पहुँचना असंभव है .तो जो शिव जी से प्रेम करते हैं वो भी इनकी पूजा करके वही फल प्राप्त कर सकते हैं .

 

विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥

अर्थ– आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।

 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥

अर्थ– आप श्री राम चरित्र सुनने में आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।

रहस्य — जो राम का नाम स्मरण करते हों , जो राम कथा से आनंद प्राप्त करते हों उन्हें हनुमान जी की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है और जो हनुमान जी की भक्ति करते हैं उन्हें सीता -राम और लक्ष्मण के दर्शन सरलता से हो जाते हैं .

 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥

अर्थ– आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।

रहस्य — अपनी माता के सामने हर प्राणी हमेशा छोटा ही रहता है इसलिए हमें सदा उनके सामने विनम्रता के साथ पेश आना चाहिए . हनुमान जी अतुलित बल के स्वामी होने के बावजूद माता सीता के सामने छोटा रूप धारण करके प्रस्तुत होते हैं .

 

भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥

अर्थ– आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।

 

लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥

अर्थ – आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।

 

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥

अर्थ– श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।

 

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥

अर्थ– श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।

 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥

अर्थ– श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।

 

जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥

अर्थ– यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।

 

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥ 16॥

अर्थ -आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।

 

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥

अर्थ -आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।

रहस्य – यदि आप बहुत धन प्राप्त करना चाहते हैं तो ये दोनों दोहा एक साथ निरंतर जप करना चाहिए .यदि विश्वास ,नियम और निरंतरता के साथ इसका जप किया जाय तो निश्चित रूप से बहुत धन प्राप्त होने का मार्ग खुलेगा . ये बेहद ही उपयोगी दोहा है . हनुमान जी कलयुग के जागृत देवता हैं और आठो प्रकार की सिद्धि और नौ प्रकार की संपत्ति देने में पूर्ण समर्थ हैं इसलिए बिना किसी संदेह के उनकी भक्ति हम सबको करनी चाहिए .

 

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥

अर्थ– जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।

 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥

अर्थ– आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।

 

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥

अर्थ– संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।

 

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥

अर्थ– श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।

 

सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥

अर्थ– जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।

 

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥

अर्थ– आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।

 

भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥ 24॥

अर्थ– जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं आ सकते।

रहस्य – नकारात्मक शक्तियों से सामना होने पर यही मंत्र तत्क्षण सहायता करता है

 

नाशै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥

अर्थ– वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।

रोग निवारण हेतु उपाय – श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (श्री बागेश्वर धाम) – घर में बिमारी है, दवाई असर नहीं कर रही तो श्री हनुमान चालीसा की ऊपर दी गयी चौपाई बहुत पावरफुल है। इस चोपाई का 108 बार जाप करके कटोरी में गंगा जल रखकर, पांच आहुति देकर फिर उस जल को फूंक लागकर रोगी को पिलाने से, उस रोगी को 40 दिन में आराम लगने लगेगा। – Source

 

संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥

अर्थ– हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।

 

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥

अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।

 

और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥

अर्थ– जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

 

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥

अर्थ– चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।

 

साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥

अर्थ– हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।

 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥

अर्थ– आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है। वे आठ सिद्दिया इस प्रकार है –

  1. अणिमा– जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
  2. महिमा– जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
  3. गरिमा– जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
  4. लघिमा– जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
  5. प्राप्ति– जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
  6. प्राकाम्य– जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
  7. ईशित्व– जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
  8. वशित्व– जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।

 

राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥

अर्थ– आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।

 

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥

अर्थ– आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।

 

अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥

अर्थ– अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।

 

और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥

अर्थ– हनुमान जी को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है। हनुमान जी की भक्ति से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं .

रहस्य — यदि हम जप का बेहतरीन फल प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें एकनिष्ठ बनना ही होगा ,अन्य कोई रास्ता ही नहीं है . जो भक्त हनुमान जी पर पूरी तरह से आश्रित हैं उनका नुकसान यमराज जी भी नहीं कर सकते क्योंकि हनुमान जी स्वयं रूद्र हैं जिन्होंने उनके पिता सूर्य को एक मीठा फल समझ कर निगल लिया था उस समय उनकी आयु मात्र 12 वर्ष थी , इसीसे उनकी शक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है

 

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥

अर्थ– हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।

 

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥

अर्थ– हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।

रहस्य — आज के इस युग में जहाँ कदम-कदम पर कालनेमि मौजूद हैं जिनके मुँह में राम और बगल में छुरी है ऐसे कठिन समय में हमें किसी देहधारी गुरु की तलाश में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और हनुमान जी को ही अपना गुरु मानकर अपना आध्यात्मिक साधना शुरू करना चाहिए .इसके लिए उपरोक्त मंत्र श्रेष्ठ है.

 

जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥

अर्थ– जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से मुक्त होकर परमानंद का भागी होगा।

रहस्य – यदि कोई खास कामना हो तो हनुमान चालीसा का उपरोक्त विधि से 108 बार पाठ करना चाहिए ,निस्संदेह सफलता मिलती है

 

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥

अर्थ– भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।

 

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥

अर्थ– हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

 

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥

अर्थ– हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

 

हनुमान चालीसा में चालीसा का अर्थ क्या है?

तो अब आपको मूल प्रश्न का उत्तर समझ में आ गया होगा कि चालीसा अर्थात 40 चौपाई

जय श्री राम, जय जय राम, जय श्री राम

Note : वैदिक और संतो के उपायो का सिद्ध या सफल होना आपकी भक्ति और विश्वास पर निर्भर करते है।

Source – Quora

 

 

Last Update: मई 27, 2023