राजा परिक्षित ने पूछा – भगवन्‌ ! देवराज इंद्र ने जिससे सुरक्षित होकर शत्रुओं की चतुरंगिणी सेना को खेल-खेल में अनायास ही जीतकर ब्रिलोकी की राज लक्ष्मी का उपभोग किया, आप उस नारायण कवच को सुनाइये और यह भी बताईये कि उन्होंने उससे सुरक्षित होकर रणभूमि में किस प्रकार आक्रमणकारी शत्रुओं पर विजय प्राप्त की?

तब श्रीशुकदेवजी ने कहा – परीक्षित्‌ ! जब देवताओं ने विश्वरूप को पुरोहित बना लिया, तब देवराज इन्द्र के प्रश्न करने पर विश्वरूप ने नारायण कवच का उपदेश दिया तुम एकाग्रचित्त से उसे सुनो।

श्री शुकदेव जी आगे कहते है कि – विश्वरूप ने कहा -देवराज इन्द्र ! भय का अवसर उपस्थित होने पर नारायण कवच धारण करके अपने शरीर की रक्षा कर लेनी चाहिए।

उसकी विधि यह है कि पहले हाँथ-पैर धोकर आचमन करे, फिर हाथ में कुश की पवित्री धारण करके उत्तर मुख करके बैठ जाय, इसके बाद कवच धारण के दौरान और कुछ न बोलने का निश्चय करके पवित्रता से “ॐ नमो नारायणाय” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इन मंत्रों के दवारा हृदयादि अंगन्यास तथा अड्गुष्ठादि करन्यास करे पहले “ॐ नमो नारायणाय” इस अष्टाक्षर मन्त्र के ॐ आदि, आठ अक्षरों का क्रमशः पैरों, घुटनों, जाँघों, पेट, हृदय, वक्ष:स्थल, मुख और सिर में न्यास करे, अथवा पूर्वोक्त मन्त्र के यकार से लेकर ओमकार तक आठ अक्षरों का सिर से आरम्भ कर उन्हीं आठ अंगो में विपरित क्रम से न्यास करे।

अब श्री नारायण का ध्यान करके ऐसे प्रार्थना करे –

  • भगवान्‌ श्रीहरि गरूड़जी के पीठ पर अपने चरणकमल रखे हुए हैं, अभणिमा आदि आठों सिद्धियाँ उनकी सेवा कर रही हैं आठ हाथों में शंख, चक्र, ढाल, तलवार, गदा, बाण, धनुष, और पाश (फंदा) धारण किए हुए हैं वे ही ओंकार स्वरूप प्रभु सब प्रकार से सब ओर से मेरी रक्षा करें।
  • मत्स्यमूर्ति भगवान्‌ जल के भीतर जल-जंतुओं से और वरूण के पाश से मेरी रक्षा करें माया से ब्रहमचारी रूप धारण करने वाले वामन भगवान स्थल पर और विश्वरूप श्री त्रिविक्रम भगवान आकाश में मेरी रक्षा करे।
  • जिनके घोर अट्टहास करने पर सब दिशाएँ गूँज उठी थीं और गर्भवती दैत्यपत्नियों के गर्भ गिर गये थे, वे दैत्ययुथपतियों के शत्रु भगवान नृसिंह किले, जंगल, रणभूमि आदि विकट स्थानों में मेरी रक्षा करें।
  • अपनी दाढ़ों पर पृथ्वी को उठा लेने वाले यज्ञमूर्ति वराह भगवान्‌ मार्ग में, परशुराम जी पर्वतों के शिखरों और लक्ष्मणजी के सहित भरत के बड़े भाई भगावन्‌ रामचंद्र प्रवास के समय मेरी रक्षा करें।
  • भगवान्‌ नारायण मारण – मोहन आदि भयंकर अभिचारों और सब प्रकार के प्रमादों से मेरी रक्षा करें, ऋषिश्रेष्ठ नर गर्व से, योगेश्वर भगवान्‌ दत्तात्रेय योग के विघ्नों से और त्रिगुणाधिपति भगवान्‌ कपिल कर्मबन्धन से मेरी रक्षा करें |
  • परमऋषि सनत्कुमार कामदेव से, हयग्रीव भगवान मार्ग में चलते समय देवमूर्तियों को नमस्कार आदि न करने के अपराध से, देवर्षि नारद सेवापराधों से और भगवान्‌ कच्छप सब प्रकार के नरकों से मेरी रक्षा करें।
  • भगवान्‌ धन्वन्तरि कुपथ्य से, जितेन्द्र भगवान्‌ ऋषभदेव सुख-दुःख आदि भयदायक द्वन्दों से, यज्ञ भगवान्‌ लोकापवाद से, बलरामजी मनुष्यकृत कष्टों से और श्रीशेषजी क्रोधवशनामक सर्पों के गणों से मेरी रक्षा करें।
  • भगवान श्रीकृष्णद्वेपायन व्यासजी अज्ञान से तथा बुद्ध देव पाखण्डियों से और प्रमाद से मेरी रक्षा करें, धर्म-रक्षा करने वाले महान अवतार धारण करने वाले भगवान्‌ कल्कि पाप-बहुल कलिकाल के दोषों से मेरी रक्षा करें।
  • प्रातः काल भगवान्‌ केशव अपनी गदा लेकर, कुछ दिन चढ़ जाने पर भगवान्‌ गोविन्द अपनी बांसुरी लेकर, दोपहर के पहले भगवान्‌ नारायण अपनी तेज शक्ति लेकर और दोपहर को भगवान्‌ विष्णु चक्रराज सुदर्शन लेकर मेरी रक्षा करें।
  • तीसरे पहर में भगवान्‌ मधुसूदन अपना प्रचण्ड धनुष लेकर मेरी रक्षा करें सांयकाल में ब्रहमा आदि त्रिमूर्तिधारी माधव, सूर्यास्त के बाद हृषिकेश, अर्धरात्रि के पूर्व तथा अर्ध रात्रि के समय अकेले भगवान्‌ पद्मनाभ मेरी रक्षा करें।
  • रात्रि के पिछले प्रहर में श्रीवत्सलाञ्छन श्रीहरि, उषाकाल में खड़गधारी भगवान्‌ जनार्दन, सूर्योदय से पूर्व श्रीदामोदर और सम्पूर्ण सन्ध्याओं में कालमूर्ति भगवान् विश्वेश्वर मेरी रक्षा करें।
  • क्रमशः (respectively)

नोट: हम यहाँ श्री नारायण कवच को पूरा नहीं लिख सकते क्युकी हर तंत्र, मन्त्र, यंत्र, प्रार्थना और स्तुति की विधि और भक्त की भगवान् के प्रति भावना होती है। हमारा उदेश्य इशारा मात्र करना था, ज्ञान के लिए आप श्री नारायण कवच को यहाँ से खरीद सकते है। आप स्वयं पाठ करे, सुने और आत्मा से प्रभु का अनुभव करे। आप चाहे तो नारायण कवच हिंदी में PDF डाउनलोड करके भी पढ़ सकते है। कोशिश करे की आप नारायण कवच संस्कृत में और नारायण कवच गीता प्रेस की ही पढ़े। जय श्री हरि।


FAQs –

नारायण कवच कब पढ़ना चाहिए?

नारायण कवच को सुबह उठकर पढ़ना चाहिए। इसे नियमित रूप से पढ़ने से शांति और सुख मिलता है।

नारायण कवच मंत्र क्या है?

नारायण कवच मंत्र भगवान नारायण की रक्षा करने के लिए पढ़ा जाता है। मंत्र का विस्तृत रूप से पाठ उच्चारण किया जाता है जो रक्षा, सुख और शांति प्रदान करता है।

नारायण कवच का जाप कैसे करें?

नारायण कवच को जपने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह उठकर और संध्या के समय होता है। इसे नियमित रूप से जप करने से अधिक लाभ होता है।

नारायण कवच कितना शक्तिशाली है?

नारायण कवच बहुत शक्तिशाली है और यह शांति, सुख और सुरक्षा प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से अधिक लाभ होता है।

नारायण कवच कैसे होता है?

नारायण कवच एक वेदिक मंत्र है जो भगवान नारायण की रक्षा करने के लिए पढ़ा जाता है। यह एक वेद पुराणों में से एक है और इसे पढ़ने से शांति, सुख और सुरक्षा प्राप्त होती है।

नारायण कवच में कितने श्लोक हैं?

नारायण कवच में 42 श्लोक होते हैं। इन श्लोकों का उच्चारण करने से भगवान नारायण की कृपा प्राप्त होती है।

नारायण कवच का पाठ करने से क्या होता है?

नारायण कवच का पाठ करने से मन शांत होता है और शरीर को सुख और सुरक्षा मिलती है। यह भगवान नारायण की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है और भय, चिंता और अन्य उपद्रवों से मुक्ति प्रदान करता है।

 

Last Update: January 15, 2025