0 Comments 27 भगवान शिव ने काकभुशुण्डि को दिया श्राप हे सर्पों के शत्रु गरुड़ जी! सुनिए, मैं दीन, मलिन (उदास), दरिद्र और दुःखी होकर उज्जैन गया।…