इस जानकारी से आपको ये समझ में आ जायेगा कि कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का क्या अर्थ होता है और कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में क्या अंतर है।
हिंदी में दिन को दिवस कहा जाता है तथा इनकी गणना तिथि के अनुसार होती है। 30 दिवस के महीने में 15 दिवस शुक्ल पक्ष के होते है और 15 दिवस कृष्ण पक्ष के होते है। आपको बता दे सनातन धर्म का कलैण्डर सबसे पुराना है और उसी में 30 दिवस का एक माह बताया गया, तथा उस एक मास में भी 15 दिवस कृष्ण पक्ष के और 15 दिवस शुक्ल पक्ष के है। चंद्रमा की कलाओं के ज्यादा और कम होने को ही शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहते हैं। यहाँ आपको दिवस के नाम और दिवस की लिस्ट मिलेगी।
शुक्लपक्ष के दिवस की लिस्ट अर्थात तिथियों के नाम –
अमावस्या से पूर्णिमा तक का समय शुक्लपक्ष कहलाता है –
कैलेंडर में एक चंद्र माह में दो पखवाड़े होते हैं, और इसकी शुरुआत अमावस्या से होती है । एक चंद्र दिवस को एक तिथि कहा जाता है इसलिए प्रत्येक माह में 30 तिथियां होती हैं। एक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं , जिनकी गणना चंद्रमा की 12 डिग्री की गति से की जाती है। अमावस्या और पूर्णिमा के बीच के पहले पखवाड़े को गौरा पक्ष या शुक्ल पक्ष ( सफेद/उज्ज्वल/सुनहरा पक्ष’) कहा जाता है, जो चमकते चंद्रमा की अवधि अर्थात चंद्रमा बढ़ते-बढ़ते 15वे दिन पूर्ण रूप में आ जाता है। इस पूर्ण रूप की तिथि को पूर्णिमा की रात कहते है। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुक्लपक्ष सबसे ऊर्जावान या शुभ माना गया है। पूर्णिमा की रात किये गए सात्विक कार्य बहुत ही शुभ और सात्विक फल देने वाले होते है।
- प्रतिपदा तिथि (पोडवा)
- द्वितीया तिथि (दूज)
- तृतीया तिथि (तीज)
- चतुर्थी तिथि (चौथ)
- पंचमी तिथि (पंचमी)
- षष्ठी तिथि (छठ)
- सप्तमी तिथि (सप्तम/सातय)
- अष्टमी तिथि (अष्टमी/आठय)
- नवमी तिथि (नौमी/नमय )
- दशमी तिथि (दशम/दशय)
- एकादशी तिथि (ग्यारस/ग्यारह )
- द्वादशी तिथि (बारस/बारह )
- त्रियोदशी तिथि (तेरस)
- चतुर्दशी तिथि (चौदस)
- पूर्णिमा (पूनम/पूनो/उजाली रात)
कृष्ण पक्ष के दिवस की लिस्ट अर्थात तिथियों के नाम –
पूर्णिमा से अमावस्या तक बीच के दिनों को कृष्णपक्ष कहा जाता है –
पूर्णिमा के अगले दिवस से दूसरा पखवाड़ा शुरू होता है। इसे वैध्य पक्ष या कृष्ण पक्ष (अंधेरा/काला पक्ष’) कहा जाता है , जो चंद्रमा के ढलने की अवधि है । और यह ढलते-ढलते 15वे दिन पूरी तरह से गायब हो जाता है, जिसे अमावस्या की रात कहते है। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए कृष्णपक्ष में ऊर्जा का क्षय होता है अर्थात शुक्लपक्ष की तुलना में ऊर्जा की कमी देखि जाती है और अच्छा नहीं माना जाता है। अमावस्या की रात किये गए तामसिक कार्य बहुत जल्दी फलित होते है।
- प्रतिपदा तिथि (पोडवा)
- द्वितीया तिथि (दूज)
- तृतीया तिथि (तीज)
- चतुर्थी तिथि (चौथ)
- पंचमी तिथि (पंचमी)
- षष्ठी तिथि (छठ)
- सप्तमी तिथि (सप्तम/सातय)
- अष्टमी तिथि (अष्टमी/आठय)
- नवमी तिथि (नौमी/नमय )
- दशमी तिथि (दशम/दशय)
- एकादशी तिथि (ग्यारस/ग्यारह )
- द्वादशी तिथि (बारस/बारह )
- त्रियोदशी तिथि (तेरस)
- चतुर्दशी तिथि (चौदस)
- अमावस्या (अमावस / अँधेरी रात)
इन सभी दिवस लिस्ट को PDF में भी रख सकते है, या वेबसाइट का नाम याद रखे। जिसमे सभी दिवस की लिस्ट आपको महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार की जानकारी के साथ मिलेंगे।