पार्वती ! बैशाख मास की पूर्णिमा के दिन वैष्णव पुरुष भक्ति, उत्साह ओर प्रसन्नता के साथ जगदीश्वर भगवान को जल में पधराकर उनकी पूजा करे अथवा एकादशी तिथि को अत्यन्त हर्ष में भरकर गीत, वाद्य तथा नृत्य के साथ यह पुण्यमय महोत्सव करे।
भक्तिपूर्वक श्रीहरि की लीला-कथा का गान करते हुए ही यह शुभ उत्सव रचाना उचित है। उस समय भगवान से प्रार्थना पूर्वक कहे– ‘हे देवेश्वर ! इस जल में शयन कीजिये |
जो लोग वर्षाकाल के आरम्भ में भगवान् जनार्दन को जल में शयन कराते हैं, उन्हें कभी नरक की ज्वाला में नहीं तपना पड़ता।
देवेश्वरि ! सोने, चाँदी, ताँबे अथवा मिट्टी के बर्तन में श्रीविष्णु को शयन कराना उचित है।
पहले उस बर्तन में शीतल एवं सुगन्धित जल रखकर विद्वान् पुरुष उस जल के भीतर श्रीविष्णु को स्थापित करे।
गोपाल या श्रीराम नामक मूर्ति की स्थापना करे अथवा शालग्राम शिला को ही स्थापित करे या और ही कोई प्रतिमा जल में रखे। उससे होने वाले पुण्य का अन्त नहीं है।
देवि ! इस पृथ्वी पर जब तक पर्वत, लोक और सूर्य की किरणें विद्यमान हैं, तब तक उस के कुल में कोई नरक गामी नहीं होता।
अतः ज्येष्ठ मास में श्रीहरि को जल में पधराकर उनकी पूजा करनी चाहिये। इससे मनुष्य प्रकय-काल तक निष्पाप बना रहता है । ज्येष्ठ और आषाढ़ के समय तुलसीदल से वासित शीतल जल में भगवान् धरणीधर की पूजा करे।
जो लोग. ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में नाना प्रकार के पुष्पों से जल में स्थित श्रीकेशब की पूजा करते हैं, वे यम-यातना से छुटकारा पा जाते हैं। भगवान् विष्णु जल के प्रेमी हैं, उन्हें जल बहुत ही प्रिय है; इसीलिये वे जल में शयन करते हैं। अतः गर्मी के मौसम में विशेष रूप से जल में स्थापित करके ही श्रीहरि का पूजन करना चाहिये।
शालग्नाम शिला को जल में विराजमान करके परम भक्ति के साथ उसकी पूजा करता है, वह अपने कुल को पवित्र करने वाला होता है।
पार्वती ! सूर्य के मिथुन और कर्क राशि पर स्थित होने के समय जिसने भक्तिपूर्वक जल में श्रीहरि की पूजा की है, विशेषतः द्वादशी तिथि को जिसने जलशायी विष्णु का अर्चन किया है, उसने मानो कोटिशत यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया।
जो वैशाख मास में भगवान् माधव को जलतपात्र में स्थापित करके उनका पूजन करते हैं, वे इस पृथ्वी पर मनुष्य नहीं, देवता हैं।
स्रोत – संक्षिप्त पद्म पुराण, पेज संख्या – ७४६ पर
दंडवत आभार – श्री गीताप्रेस गोरखपुर
FAQs –
वैशाख पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए?
श्रीमदपद्मपुराण में शिव जी पार्वती माता को श्री हरि की विशेष रूप से पूजा करने का माहात्म्य ऊपर बताया है।
वैशाख पूर्णिमा का क्या महत्व है?
पृथ्वी पर जब तक पर्वत, लोक और सूर्य की किरणें विद्यमान हैं, तब तक उस के कुल में कोई नरक गामी नहीं होता।
वैशाख पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
वैशाख महीना भगवान विष्णु की आराधना का महीना है। वहीं वैशाख मास की पूर्णिमा भगवान श्रीहरि की विशेष पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
बैसाख की पूर्णिमा का दिन क्यों खास है?
शिव ने ये रहस्य माता पार्वती को बताया है कि श्री हरि के विशेष पूजन से पृथ्वी पर जब तक पर्वत, लोक और सूर्य की किरणें विद्यमान हैं, तब तक उस के कुल में कोई नरक गामी नहीं होता।
पूर्णिमा किसके लिए अच्छी होती है?
सात्विक स्त्री पुरुष जो सत्य का वातावरण और सत्य सनातन को मानते है, पूर्णिमा उनके लिए अच्छी होती है।
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