आपद्धर्म (=आपद्+धर्म) का अर्थ है विवशता या आपातकल में धर्म से हटकर थोड़ा बहुत कार्य करना, जिसे आपदा में धर्म से हटकर काम करना ही आपद्धर्म कहलाता है। इसे समझने के लिए आपको छांदोग्य उपनिषद में प्राप्त एक विवरण अवश्य सुनना या पढ़ना चाहिए।
हालाँकि महाभारत के शान्ति पर्व आपद्धर्म नाम से एक उपपर्व भी है। उसे भी आपको पढ़ना चाहिए।
छांदोग्य उपनिषद से (छा०1।10।1-5) –
कुरु देश में एक बार ओलों के कारण सब फसल नष्ट हो गई । ऐसी कठिन स्थिति में, उषस्ति चाक्रायण नाम के ऋषि अति निर्धन हो गए, और हाथीवानों (महावतों ) की बस्ती में अपनी पत्नी के साथ रहने लगे ।
एक दिन उनको भूख ने उतावला कर दिया । वे अपनी पत्नी के साथ भोजन की खोज में भटकने लगे।
उन्होंने एक हाथीवान् को कुछ खाते हुए देखा, तो उषस्ति उनके पास गए और पूछा कि क्या खा रहे हो?
महावत ने उत्तर दिया, उड़द खा रहा हूँ।
उषस्ति ने कहा, मुझे उसमें से थोड़ा दो ना। मैं दो दिन से भूखा हूँ।
वह व्यक्ति बोला – महाराज ! अवश्य देता किन्तु ये सब जूठे हो गये है।
उस पर उषस्ति बोले – जूठे ही सही, मुझे थोडे से दे दो।
उस व्यक्ति ने एक पत्ते पर थोडे उड़द उषस्ति और उनकी पत्नी को दिये। और थोड़ा पानी भी उषस्ति के लिये रख दिया। किन्तु उडद खाना पूर्ण होने के बाद उषस्ति ने पत्ता फेंक दिया और जाने लगे ।
तो उस व्यक्ति ने कहा – महाराज !, पानी तो पी लो।
उषस्ति बोले – मैं जूठा पानी नहीं पीता।
महावत बोला – जूठे उड़द खाते हो, तो जूठा पानी क्यौं नहीं चलता।
उषस्ति ने कहा – मैं जूठे उड़द नहीं खाता तो मर जाता। अब मुझ में कुछ जान आयी है। कहीं आसपास झरना होगा तो देखता हूँ। अब में जल ढूढ़ सकता हूँ तो में उसे कही और प्राप्त करूँगा। विचारकर भी झूठा जल ग्रहण करना, पूर्णतया गलत है जिसे आपद्धर्म नहीं कहा जा सकता। जूठे उड़द खाना यह आपद्धर्म है।
आपद्धर्म को नियमित धर्म नहीं बनाना चाहिये।
FAQs –
आपद्धर्म किसे कहते हैं?
छांदोग्य उपनिषद के अनुसार आपदा के समय किये जाने वाला कार्य अगर धर्म के अनुकूल नहीं होता तो उसे आपदधर्म कहते है।
आपद्धर्म और नियमित धर्म में क्या अंतर होता है?
आपद्धर्म अर्थात विपत्ति में धर्म से थोड़ा बहुत हटकर कार्य कर लेना लेकिन नियमित धर्म में आपको मनुष्य होकर जो भी शास्त्रों के अनुसार कर्तव्य होते है उसे करने होते है।
What is Apaddharma?
According to Chhandogya Upanishad, if the work done at the time of disaster is not according to Dharma, then it is called Aapdharma.