आसक्ति का अर्थ –
इच्छाओं की तीव्रता अर्थात विषयो की तीव्र इच्छा ही आसक्ति है। आसक्ति से काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा आदि मष्तिष्क के रोग (मनोरोग) हो जाते है।
आसक्त होना –
इन्द्रियों के विषयों (संसार के भोग) में इस प्रकार लिप्त होना की अपना कर्तव्य या कर्म भी भूल जाना तो इसे आसक्त होना कहते है।
आसक्त होने के परिणाम –
आसक्ति ही मनुष्य के सर्वनाश का कारण बनती है, क्युकी आसक्ति में थोड़ी सी बाधा क्रोध का कारण बनता है और क्रोध होने से मति भ्रष्ट हो जाती है और व्यक्ति गलत कार्य कर बैठता है
अनासक्त होना या आसक्तिरहित –
ऐसे पुरुष का एक लक्षण यह है कि वह मन से न इन्द्रियों के विषयों में आसक्त होता है और न जगत् में किये जाने वाले अकर्म और विक्रमो में । आसक्तिरहित व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी सुखी रहता है।
आसक्तिरहित होने के परिणाम –
ऐसा व्यक्ति सिर्फ निष्कर्म के द्वारा महान बनता चला जाता है और अंत में भगवान् को प्राप्त होता है। क्युकी ऐसे पुरुष अपने कर्म भगवान् को समर्पित करते है और उससे उत्पन्न कर्मफल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है।
आज निष्काम कर्म के व्यक्तित्व का उदाहरण श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुखयमंत्री योगी आदित्यनाथ को ले सकते है जो न विकर्म करते है और न स्वार्थ के लिए कार्य ।
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सामान्य प्रश्न –
आसक्ति का त्याग कैसे करें?
कर्म न करने की आसक्ति आलस्य और प्रमाद पैदा करती है, जो कि तामसी वृत्ति (तमोगुण की अधिकता) है और यदि कर्म करने की आसक्ति व्यर्थ की चेष्टाओं में लगाती है, जो कि राजसी वृत्ति (रजोगुण की अधिकता ) है।
अब यदि आपको आसक्ति का कारण पता चल गया हो तो त्यागने का निश्चय आपके ऊपर है।
आसक्ति शब्द का अर्थ क्या है?
आसक्ति का अर्थ है किसी वस्तु या आनंद को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा होना। या कर्म फल में आसक्त होना ही आसक्ति है।
How to give up attachment?
if you have come to know the reason for attachment, then it is up to you to decide to give up.
What is the meaning of the word attachment?
Attachment means having a strong desire to get something or pleasure.